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21 धर्मी को हानि नहीं होती है, परन्तु दुष्ट लोग सारी विपत्ति में डूब जाते हैं। नीतिवचन 12:21 22 झूठों से यहोवा को घृणा आती है परन्तु जो विश्वास से काम करते हैं, उन से वह प्रसन्न होता है। नीतिवचन 12:22 23 चतुर मनुष्य ज्ञान को प्रगट नहीं करता है, परन्तु मूढ़ अपने मन की मूढ़ता ऊंचे शब्द से प्रचार करता है। नीतिवचन 12:23 24 कामकाजी लोग प्रभुता करते हैं, परन्तु आलसी बेगारी में पकड़े जाते हैं। नीतिवचन 12:24
11 फिर परमेश्वर ने कहा, पृथ्वी से हरी घास, तथा बीज वाले छोटे छोटे पेड़, और फलदाई वृक्ष भी जिनके बीज उन्ही में एक एक की जाति के अनुसार होते हैं पृथ्वी पर उगें; और वैसा ही हो गया। उत्पत्ति 1:11 11 And he said: Let the earth bring forth the green herb, and such as may seed, and the fruit tree yielding fruit after its kind, which may have seed in itself upon the earth. And it was so done. Genesis 1:11 12 तो पृथ्वी से हरी घास, और छोटे छोटे पेड़ जिन में अपनी अपनी जाति के अनुसार बीज होता है, और फलदाई वृक्ष जिनके बीज एक एक की जाति के अनुसार उन्ही में होते हैं उगे; और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है। उत्पत्ति 1:12 12 And the earth brought forth the green herb, and such as yieldeth seed according to its kind, and the tree that beareth fruit having seed each one according to its kind. And God saw that it was good. Genesis 1:12 13 तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार तीसरा दिन हो गया॥ उत्पत्ति 1:13 13 And the evening and the morning were the third day. Genesis 1:13
8 और परमेश्वर ने उस अन्तर को आकाश कहा। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार दूसरा दिन हो गया॥ उत्पत्ति 1:8 8 And God called the firmament, Heaven; and the evening and morning were the second day. Genesis 1:8 9 फिर परमेश्वर ने कहा, आकाश के नीचे का जल एक स्थान में इकट्ठा हो जाए और सूखी भूमि दिखाई दे; और वैसा ही हो गया। उत्पत्ति 1:9 9 God also said: Let the waters that are under the heaven, be gathered together into one place: and let the dry land appear. And it was so done. Genesis 1:9 10 और परमेश्वर ने सूखी भूमि को पृथ्वी कहा; तथा जो जल इकट्ठा हुआ उसको उसने समुद्र कहा: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है। उत्पत्ति 1:10 10 And God called the dry land, Earth; and the gathering together of the waters, he called Seas. And God saw that it was good. Genesis 1:10
18 अब यीशु मसीह का जन्म इस प्रकार से हुआ, कि जब उस की माता मरियम की मंगनी यूसुफ के साथ हो गई, तो उन के इकट्ठे होने के पहिले से वह पवित्र आत्मा की ओर से गर्भवती पाई गई। मत्ती 1:18 18 Now the generation of Christ was in this wise. When as his mother Mary was espoused to Joseph, before they came together, she was found with child, of the Holy Ghost. Matthew 1:18 19 सो उसके पति यूसुफ ने जो धर्मी था और उसे बदनाम करना नहीं चाहता था, उसे चुपके से त्याग देने की मनसा की। मत्ती 1:19 19 Whereupon Joseph her husband, being a just man, and not willing publicly to expose her, was minded to put her away privately. Matthew 1:19 20 जब वह इन बातों के सोच ही में था तो प्रभु का स्वर्गदूत उसे स्वप्न में दिखाई देकर कहने लगा; हे यूसुफ दाऊद की सन्तान, तू अपनी पत्नी मरियम को अपने यहां ले आने से मत डर; क्योंकि जो उसके गर्भ में है, वह पवित्र आत्मा की ओर से है। मत्ती 1:20 20 But while he thought on these things, behold the angel of the Lord appeared to him in his sleep, saying: Joseph, son of David, ...
32 तब यीशु ने ख़ड़े होकर, उन्हें बुलाया, और कहा; मत्ती 20:32 32 And Jesus stood, and called them, and said: What will ye that I do to you? Matthew 20:32 33 तुम क्या चाहते हो कि मैं तुम्हारे लिये करूं? उन्हों ने उस से कहा, हे प्रभु; यह कि हमारी आंखे खुल जाएं। मत्ती 20:33 33 They say to him: Lord, that our eyes be opened. Matthew 20:33 34 यीशु ने तरस खाकर उन की आंखे छूई, और वे तुरन्त देखने लगे; और उसके पीछे हो लिए॥ मत्ती 20:34 34 And Jesus having compassion on them, touched their eyes. And immediately they saw, and followed him. Matthew 20:34
7 तब परमेश्वर ने एक अन्तर करके उसके नीचे के जल और उसके ऊपर के जल को अलग अलग किया; और वैसा ही हो गया। उत्पत्ति 1:7 7 And God made a firmament, and divided the waters that were under the firmament, from those that were above the firmament, and it was so. Genesis 1:7 8 और परमेश्वर ने उस अन्तर को आकाश कहा। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार दूसरा दिन हो गया॥ उत्पत्ति 1:8 8 And God called the firmament, Heaven; and the evening and morning were the second day. Genesis 1:8
4 और परमेश्वर ने उजियाले को देखा कि अच्छा है; और परमेश्वर ने उजियाले को अन्धियारे से अलग किया। उत्पत्ति 1:4 4 And God saw the light that it was good; and he divided the light from the darkness. Genesis 1:4 5 और परमेश्वर ने उजियाले को दिन और अन्धियारे को रात कहा। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार पहिला दिन हो गया॥ उत्पत्ति 1:5 5 And he called the light Day, and the darkness Night; and there was evening and morning one day. Genesis 1:5 6 फिर परमेश्वर ने कहा, जल के बीच एक ऐसा अन्तर हो कि जल दो भाग हो जाए। उत्पत्ति 1:6 6 And God said: Let there be a firmament made amidst the waters: and let it divide the waters from the waters. Genesis 1:6

Aadi me parmesan ne Akash aur pritibi Sisto ki

1 आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की। उत्पत्ति 1:1 1 In the beginning God created heaven, and earth. Genesis 1:1 2 और पृथ्वी बेडौल और सुनसान पड़ी थी; और गहरे जल के ऊपर अन्धियारा था: तथा परमेश्वर का आत्मा जल के ऊपर मण्डलाता था। उत्पत्ति 1:2 2 And the earth was void and empty, and darkness was upon the face of the deep; and the spirit of God moved over the waters. Genesis 1:2 3 तब परमेश्वर ने कहा, उजियाला हो: तो उजियाला हो गया। उत्पत्ति 1:3 3 And God said: Be light made. And light was made. Genesis 1:3
4 हर एक तराई भर दी जाए और हर एक पहाड़ और पहाड़ी गिरा दी जाए; जो टेढ़ा है वह सीधा और जो ऊंचा नीचा है वह चौरस किया जाए। यशायाह 40:4 4 Every valley shall be exalted, and every mountain and hill shall be made low, and the crooked shall become straight, and the rough ways plain. Isaiah 40:4 5 तब यहोवा का तेज प्रगट होगा और सब प्राणी उसको एक संग देखेंगे; क्योंकि यहोवा ने आप ही ऐसा कहा है॥ यशायाह 40:5 5 And the glory of the Lord shall be revealed, and all flesh together shall see, that the mouth of the Lord hath spoken. Isaiah 40:5